रेफ्रिजरेंट्स
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
अमेरिका के सैन डिएगो में हाल ही में एक अदालती मामले में मेक्सिको से अमेरिका में प्रतिबंधित रेफ्रिजरेंट की तस्करी पर प्रकाश डाला गया, जिससे ऐसी अवैध गतिविधियों के पर्यावरणीय परिणामों पर प्रकाश पड़ा।
- विचाराधीन रेफ्रिजरेंट हाइड्रोफ्लोरोकार्बन हैं और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन का एक रूप है, जिसे HCFC 22 के रूप में जाना जाता है।
रेफ्रिजरेंट क्या हैं?
- परिचय: रेफ्रिजरेंट एक रासायनिक पदार्थ है जिसका उपयोग रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग सिस्टम में किया जाता है।
- वे उष्मा को अवशोषित करके और हवा या वस्तुओं को ठंडा करने के लिये इसे एक चक्र में स्थानांतरित करके काम करते हैं।
- उनका क्वथनांक आमतौर पर कम होता है, जिससे वे वाष्पित हो जाते हैं और आसपास के वातावरण को अपेक्षाकृत कम तापमान पर ठंडा कर पाते हैं।
- उदाहरण: क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC), हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC)।
- HFC और HCFC: 1990 के दशक में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC) ने प्रशीतन/रेफ्रिजरेशन तथा एयर कंडीशनिंग सिस्टम में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) के विकल्प के रूप में लोकप्रियता हासिल की।
- यह बदलाव तब आया जब वर्ष 1985 में अनुसंधान ने पुष्टि की कि CFC अंटार्कटिका के ऊपर असामान्य रूप से कम ओज़ोन सांद्रता पैदा कर रहा था, जिससे ओज़ोन छिद्र की घटना हुई।
- HFC और HCFC सहित रेफ्रिजरेंट मुख्य रूप से तब वायुमंडल में छोड़े जाते हैं जब उपकरण अपने जीवन के अंत तक पहुँचते हैं तथा अनुचित तरीके से निपटाए जाते हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
रेफ्रिजरेंट्स के उपयोग को कम करने हेतु विश्व स्तर पर क्या उपाय किये गए हैं?
- ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये वियना कन्वेंशन (वियना कन्वेंशन) पर वर्ष 1985 में सहमति हुई थी। इसने ओज़ोन रिक्तीकरण पर वैश्विक निगरानी और रिपोर्टिंग की स्थापना की।
- वर्ष 1987 में लगभग 200 देशों ने CFC जैसे ओज़ोन-घटाने वाले पदार्थों के उत्पादन और उपयोग को रोकने के उद्देश्य से मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये।
- भारत वर्ष 1992 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्त्ता बन गया।
- प्रोटोकॉल में वर्ष 1996 तक CFC और वर्ष 2030 तक HCFC को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का आदेश दिया गया था, ओज़ोन परत पर उनके कम प्रभाव के कारण HCFC एक अस्थायी समाधान के रूप में कार्य कर रहे थे।
- नतीजतन, HFC प्राथमिक रेफ्रिजरेंट के रूप में उभरे क्योंकि वे ओज़ोन परत को खराब नहीं करते हैं।
- हालाँकि बाद में इन्हें शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसों के रूप में पहचाना गया।
- वर्ष 1987 में लगभग 200 देशों ने CFC जैसे ओज़ोन-घटाने वाले पदार्थों के उत्पादन और उपयोग को रोकने के उद्देश्य से मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये।
- जलवायु और स्वच्छ वायु गठबंधन की रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि शून्य ओज़ोन-क्षय क्षमता होने के बावजूद HFC ग्लोबल वार्मिंग में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
- वर्ष 2016 में 150 से अधिक देशों ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत किगाली संशोधन पर सहमति व्यक्त की, जिसका लक्ष्य वर्ष 2040 के अंत तक HFC खपत को 80-85% तक कम करना था।
- भारत भी किगाली संशोधन का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
- भारत वर्ष 2032 से 4 चरणों में नियंत्रित उपयोग के लिये HFC के उत्पादन एवं खपत में कमी के चरण को पूरा करेगा, जिसमें वर्ष 2032 में 10%, वर्ष 2037 में 20%, वर्ष 2042 में 30% तथा वर्ष 2047 में 85% की संचयी कमी होगी।
- किगाली संशोधन के सफल कार्यान्वयन से वर्ष 2100 तक संभावित रूप से 0.4℃ से अधिक ग्लोबल वार्मिंग को रोका जा सकता है।
- वर्ष 2016 में 150 से अधिक देशों ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत किगाली संशोधन पर सहमति व्यक्त की, जिसका लक्ष्य वर्ष 2040 के अंत तक HFC खपत को 80-85% तक कम करना था।
नोट: वियना कन्वेंशन एवं मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल 197 पार्टियों के साथ सार्वभौमिक अनुसमर्थन प्राप्त करने वाली पहली और एकमात्र वैश्विक पर्यावरण संधियाँ हैं।
फ्लोरोकेमिकल
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ओजोन क्षय की संभाव्यता
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ग्लोबल वार्मिंग की संभाव्यता
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क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs)
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उच्च
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उच्च
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हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs)
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न्यून
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उच्च
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हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs)
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शून्य
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उच्च
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हाइड्रोफ्लोरोओलेफ़िन (HFOs)
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शून्य
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अति न्यून
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, ओज़ोन का अवक्षय करने वाले पदार्थों के प्रयोग पर नियंत्रण और उन्हें चरणबद्ध रूप से प्रयोग से बाहर करने के मुद्दे से संबंद्ध है? (2015)
(a) ब्रेटन वुड्स सम्मेलन
उत्तर: (b)
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1, 2 और 3
उत्तर: c
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