भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विनियमित संस्थाओं से शिकायत निपटान व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा है, क्योंकि इन इकाइयों की प्रक्रिया प्रणाली में ‘कुछ कमियां’ देखी गई हैं।
शुक्रवार को आरबीआई लोकपाल के सालाना सम्मेलन में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘रिजर्व बैंक लोकपाल के कार्यालय में मिली शिकायतों के विश्लेषण से पता चलता है कि नियमन के दायरे में आने वाली संस्थाओं की प्रणालियों व व्यवस्था में कुछ खामियां है।’
उन्होंने कहा, ‘अलग-अलग बैंकों व एनबीएफसी में इस तरह की कमियां हमारे संज्ञान में आई हैं। हमारा प्रयास विनियमित संस्थाओं के साथ काम करके इस तरह की खामियों को दूर करना है।’
नियामक ने विनियमित इकाइयों के आंतरिक शिकायत निपटन व्यवस्था को मजबूत करने के लिए आंतरिक लोकपाल (आईओ) व्यवस्था लागू की है। दास ने कहा कि आईओ के कामकाज में उल्लेखनीय सुधार की जरूरत है।
दास ने कहा, ‘ऐसा पाया गया है कि कई मौकों पर आईओ विनियमित इकाइयों के फैसले को यांत्रिक रूप से स्वीकृति दे देते हैं। कई मामलों में खारिज गई शिकायतों को आईओ के पास नहीं भेजा जा रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘आंतरिक विवाद निपटान प्रणाली की नींव साफ सुथरी, निष्पक्ष और विवेकपूर्ण फैसले की क्षमता पर निर्भर है। इस समय की व्यवस्था मौजूदा ढांचे की मजबूती को लेकर चिंता पैदा करती है। मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि आंतरिक शिकायत निपटान व्यवस्था की कुल मिलाकर सत्यनिष्ठा और प्रभावोत्पादकता सुनिश्चित करें।’
उन्होंने कहा, ‘आंतरिक शिकायत निपटान व्यवस्था को आगे और मजबूत करने की जरूरत है। इसमें विनियमित इकाई के आंतरिक लोकपाल ढांचे में बदलाव शामिल है।’
दास ने इस बात पर जोर दिया कि विनियमित इकाइयों को यह ध्यान में रखने की जरूरत है कि वे शिकायत निपटान ढांचे की पहली सीढ़ी हैं और पीड़ितों को रिजर्व बैंक के लोकपाल की वैकल्पिक शिकायत निपटान व्यवस्था को फिर से भेजना वांछनीय नहीं है।
दास ने कहा, ‘जैसा कि मेरे पास आई कुछ शिकायतों में हमने देखा है कि तमाम मामले ऐसे हैं कि उनका समाधान विनियमित इकाइयों के स्तर पर हो सकता था।’
रिजर्व बैंक के एकीकृत लोकपाल योजना के प्रदर्शन को लेकर दास ने कहा कि 2.34 लाख शिकायतें इसके पहले पूरे साल के परिचालन (2022-23) में आईं और उसके बाद चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 2.68 लाख शिकायतें आई हैं।
उन्होंने कहा, ‘दोनों वर्षों में निपटान की दर करीब 98 प्रतिशत है। शिकायतों की सभी श्रेणियों में निपटाने में लगने वाला औसत समय 2022-23 में घटकर 33 दिन हो गया है, जो नई योजना लागू होने के पहले 57 दिन था।’
धोखाधड़ी वाले लेन-देन के मामले बढ़ने को लेकर दास ने कहा कि निगरानी व्यवस्था को मजबूत करना और धोखाधड़ी होने के पहले संभावित धोखाधड़ी को तकनीक के इस्तेमाल से चिह्नित करना अहम है।
उन्होंने कहा, ‘आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआई) आने से साइबर सुरक्षा की चुनौतियां कई गुना बढ़ सकती हैं। इससे उपभोक्ताओं की पहचान की चोरी, धोखाधड़ी और अनधिकृत लोगों तक व्यक्तिगत जानकारी पहुंचने जैसे मामले हो सकते हैं, जिससे उपभोक्ताओं का भरोसा प्रभावित हो सकता है।’
उन्होंने कहा कि वित्तीय संस्थानों को ग्राहकों की सूचनाओं की रक्षा के लिए उल्लेखनीय कवायद करने की जरूरत है। साथ ही यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ग्राहकों को जोखिम में डालने वाले मसलों की पहचान कर उसका समाधान किया जाए।
रिजर्व बैंक ने आरबी-आईओएस के कामकाज की समीक्षा और इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने की सलाह देने के लिए कार्यसमूह का गठन किया था। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि कार्यसमूह अप्रैल 2024 तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
First Published – March 15, 2024 | 10:40 PM IST