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आयुर्वेद में गठिया का इलाज कैसे किया जाता है? आयुर्वेदाचार्य से जानें | arthritis treatment in ayurveda doctor explains in hindi

bareillyonline.com by bareillyonline.com
15 March 2024
in न्यूज़
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जीवनशैली मे होने वाले बदलाव और अनुवांशिक कारणों की वजह से लोगों को गठिया रोग हो सकता है। यह एक गंभीर समस्या है, जिसमें लोगों को रोजाना के काम करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसमें लोगों को जोड़ों में दर्द, अकड़न और मांसपेशियों में सूजन की समस्या हो सकती है। हालांकि, आयुर्वेद में भी इसका इलाज उपलब्ध है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने का प्रयास किया जाता है। जिससे व्यक्ति की लाइफस्टाइल को आसान बनाने में मदद मिलती है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार शरीर में वात दोष से लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। वहीं, पाचन क्रिया प्रभावित होने से आमवात बनने लगता है, इसे गठिया का एक मुख्य कारण माना जाता है।

इस सप्ताह ‘आरोग्य विद आयुर्वेद’ सीरीज में हम गठिया के रोग के इलाज के बारे में बात करेंगे। आरोग्य विद आयुर्वेद में हम अनुभवी डॉक्टरों की मदद से विभिन्न रोगों के लक्षणों, कारणों और इलाज के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। गठिया रोग के इलाज को जानने के लिए हमारी टीम ने सरकारी अस्पताल की आयुर्वेदिक मेडिकल डॉ. सोनल गर्ग से बात कि, तो उन्होंने गठिया रोग क्या है, गठिया के लक्षण और इलाज आदि के बारे में विस्तार से बताया। 

गठिया रोग क्या है?- What is Arthritis In Hindi 

आयुर्वेद में गठिया को संधिवात कहा जाता है। इसमें व्यक्ति के जोड़ों में अकड़न, दर्द, लालिमा और सूजन होने लगती है। इस स्थिति में हड्डियों के बीच का कुशन टूट सकते हैं। इसमें व्यक्ति को चलने और दोड़ने में परेशानी होती है। आयुर्वेद सिद्धांतों के अनुसार, कमजोर पाचन अग्नि और मेटाबॉलिज्म विषाक्त (अमा) शरीर के कार्य को बाधित करते हैं। इससे शरीर में वात दोष प्रभावित होता है और जोड़ों में दर्द व अकड़न होने लगती है। 

गठिया रोग के कितने प्रकार होते हैं? – Types Of Arthritis In Hindi 

गठिया के कई प्रकार होते हैं। इसमें जोड़ों, हड्डियों, मांसपेशियों, कार्टिलेज्स और क्नेक्टिव टिश्यू प्रभावित होते हैं। इसमें ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड सबसे आम प्रकार है। आगे जानते हैं कि गठिया कितने प्रकार का होता है। 

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस 
  • रूमेटाइड गठिया
  • बच्चों में गठिया (जूवेनाइल अर्थराइटिस)
  • सोरियाटिक गठिया, आदि। 

arthritis treatment in ayurveda

गठिया के सामान्य लक्षण क्या हैं? – Symptoms Of Arthritis In Hindi 

  • शरीर में दर्द
  • प्यास न लगना
  • आलस्य या सुस्ती
  • शरीर में भारीपन
  • बुखार
  • सुबह-सुबह जोड़ों में अकड़न
  • जोड़ों में दर्द
  • अन्य लक्षण जैसे कब्ज, अपच, पेट का भरा होना, नींद की कमी आदि। 

आयुर्वेद में गठिया का इलाज कैसे किया जाता है? – Arthritis Treatment In Ayurveda In Hindi 

विरेचन

विरेचन पंचकर्म चिकित्सा का एक हिस्सा है। विरेचन से पित्त से जुड़े विकारों को दूर किया जाता है। यह पित्त को शांत करके गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट, लिवर और गॉलब्लैडर को करता है। इसके साथ ही, ब्लड को साफ करता है। इसके अलावा, संवेदन थेरेपी से वात दोष का आकलन कर व्यक्ति को विरेचन दिया जाता है। इसमें व्यक्ति को मल त्याग की इच्छा होती है। थेरेपी के बाद मरीज को उपवास रखना होता है और फिर हल्का आहार दिया जाता है। विरेचन शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है और गठिया, हृदय संबंधी विकार, त्वचा विकार, पीलिया और एलर्जी जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं से राहत प्रदान करता है।

अभ्यंग मसाज थेरेपी 

इस थेरेपी में औषधीय तेलों से पूरे शरीर की मालिश की जाती है। यह थेरेपी जोड़ों को चिकनाई प्रदान करती है और जोड़ों को सपोर्ट प्रदान करती है। यह थेरेपी मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक होती है। अभ्यंग थेरेपी ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करती है, जिससे गठिया में होने वाली सूजन में आराम मिलता है। साथ ही, मेटाबॉलिज्म के विकार को कम करने में मदद मिलती है। इसमें हर्बल और औषधीय तेलों से मसाज की जाती है। इससे मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है।   

बस्ती 

बस्ती पंचकर्म का अहम हिस्सा है, जो वात दोष को कम करने का काम करता है। यह मल द्वार और निचली आंत से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है। बस्ती थेरेपी आठ अलग-अलग प्रकार की होती है, जिसे मरीज की जरूरत के आधार पर चुना जाता है। इस थेरेपी में, औषधीय युक्त तरल को मलाशय में डाला जाता है। इससे गठिया, रुमेटाइड और मांसपेशियों का दर्द दूर किया जाता है। इसके साथ ही, इस थेरेपी से कब्ज व मलाशय के रोग दूर किये जाते हैं। 

उपनहम 

उपनहम गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द के लिए एक प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार है। यह टिश्यू को पोषण प्रदान करता  है और ऑस्टियोआर्थराइटिस का इलाज करता है। इसमें जोड़ों की चोटों के कारण होने वाली सूजन और दर्द को भी कम करने में मदद मिलती है। इस थेरेपी में गर्म और औषधीय हर्बल पेस्ट का उपयोग किया जाता है। इसमें हर्बल पेस्ट जोड़ों पर लगाकर ऊपर से पट्टी बांधी जाती है। कुछ घंटों के बाद इस पट्टी को हटाकर औषधी साफ की जाती है। इससे जोड़ों में ब्लड सर्कुलेशन ठीक होती है, जिससे सूजन कम होती है। साथ ही, दर्द में आराम मिलता है। 

इसे भी पढ़ें : रक्तमोक्षण क्या है? आयुर्वेदाचार्य से जानें इसकी प्रक्रिया और फायदे

गठिया रोग को दूर करने के लिए आयुर्वेद में कई तरह की औषधियों का उपयोग किया जाता है। इसमें दर्द को कम करने के लिए पीड़ांतक आदि दवाएं दी जा सकती है। इसके अलावा, डाइट में भी ज्यादा मसालेदार भोजन न खाने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही, वात को बढ़ाने वाली चीजों को डाइट में शामिल नहीं किया जाता है। आयुर्वेदिक इलाज के साथ ही रोगी को कुछ विशेष तरह के योगासन व मेडिटेशन करने की सलाह दी जाती है। हम अपनी सीरीज आरोग्य विद आयुर्वेद में अगले सप्ताह नई जानकारी लेकर आएंगे। आयुर्वेद के माध्यम से अन्य रोगों के इलाज को जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। साथ ही, हमारे लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि वह भी आयुर्वेदिक उपचारों के विषय में जागरूक हों और उनको भी इसका लाभ मिलें।

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